मनीषा शर्मा। त्योहारी सीजन हमेशा से भारत में सोने-चांदी (Gold-Silver) की खरीदारी का समय माना जाता है, विशेषकर धनतेरस और दिवाली के मौके पर। हालांकि, इस बार बाजार में सोने-चांदी की मांग में सुस्ती देखने को मिल रही है। आभूषणों के थोक और खुदरा विक्रेता भी इस बार कम बिक्री की आशंका जता रहे हैं, और इसका मुख्य कारण है बढ़ती कीमतें और वैश्विक अनिश्चितताएँ।
सोने-चांदी की कीमतों में उछाल
इस समय सोने की कीमत दिल्ली में लगभग 80,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास है, जबकि चांदी एक लाख रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर चली गई है। इन उच्चतम स्तरों पर पहुंची कीमतों के कारण उपभोक्ताओं की खरीदारी में कमी आई है। भले ही सरकार ने सीमा शुल्क कम कर दिया हो, लेकिन कीमतें इतनी ज्यादा बढ़ गई हैं कि सामान्य उपभोक्ता अब इस महंगे धातु को खरीदने में हिचकिचा रहे हैं।
मांग में गिरावट, बिक्री की मात्रा में कमी
आभूषण विक्रेताओं का मानना है कि मूल्य के हिसाब से बिक्री में थोड़ी बढ़त हो सकती है, लेकिन मात्रा के आधार पर इसमें 10-12 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है। इसका कारण सिर्फ बढ़ती कीमतें ही नहीं, बल्कि वैश्विक अनिश्चितताओं का माहौल भी है।
वैश्विक अनिश्चितताओं का प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण सोने की कीमतें तेज़ी से बढ़ी हैं। दुनिया भर में अस्थिर राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियाँ सोने की कीमतों को प्रभावित कर रही हैं। इससे निवेशकों और आम उपभोक्ताओं के बीच सोने-चांदी की खरीदारी में रुचि कम हो गई है।
उपभोक्ता के मनोविज्ञान में बदलाव
कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के सह-संस्थापक और सीईओ ज्ञानशेखर त्यागराजन के मुताबिक, जब सोने की कीमतें बढ़ती हैं, तो उपभोक्ताओं की रुचि कुछ समय के लिए कम हो जाती है। हालांकि, जैसे-जैसे लोग इन ऊंची कीमतों के आदी होते जाते हैं, समय के साथ मांग फिर से बढ़ने लगती है। यह एक ऐसा चक्र है जो कई बार देखा गया है।
बढ़ती कीमतों से प्रभावित खरीदार
उपभोक्ता इस समय बजट पर दबाव महसूस कर रहे हैं। जहां एक ओर त्योहारी सीजन की परंपरा के चलते आभूषण खरीदना चाह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बढ़ती कीमतों ने उनकी खरीदारी क्षमता को कम कर दिया है। विक्रेताओं के अनुसार, इस बार ग्राहक सोने और चांदी की खरीद में ज्यादा मात्रा नहीं ले रहे हैं, बल्कि कम मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं।