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महंगाई और बेरोजगारी पर क्यों चुप है आरएसएस? टीकाराम जूली का सवाल

महंगाई और बेरोजगारी पर क्यों चुप है आरएसएस? टीकाराम जूली का सवाल

शोभना शर्मा।  आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान, जिसमें उन्होंने देश में जनसंख्या वृद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया था, पर राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जूली ने इसे बेतुका और समाज को विभाजित करने वाला करार देते हुए सवाल उठाया कि क्या आरएसएस देश को आर्थिक और सामाजिक संकटों की ओर ले जाना चाहता है। टीकाराम जूली ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मोहन भागवत का यह बयान देश के सामने खड़ी असली चुनौतियों से ध्यान भटकाने की कोशिश है। उन्होंने सरकार और आरएसएस को कट्टरपंथी एजेंडे पर काम करने वाला संगठन बताया, जो देश की बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, जल संकट और शिक्षा की समस्याओं जैसे गंभीर मुद्दों से बेखबर है।

जनसंख्या वृद्धि पर आरएसएस का रुख

मोहन भागवत ने हाल ही में कहा था कि देश में जनसंख्या दर कम होने से समाज नष्ट हो सकता है। इस बयान का जिक्र करते हुए जूली ने इसे विसंगति पूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि देश पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझ रहा है और जनसंख्या वृद्धि केवल इन समस्याओं को बढ़ाएगी। जूली ने कहा कि भारत में वर्ष 2011 के बाद से जनगणना नहीं हुई है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 2023 में भारत की जनसंख्या चीन से अधिक हो चुकी है। रिपोर्ट में भारत की आबादी 142.86 करोड़ बताई गई है, जो चीन की आबादी से 29 लाख अधिक है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि भूमि घट रही है, जल संकट बढ़ रहा है, और वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो चुका है। इसके साथ ही देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और परिवहन जैसे बुनियादी संसाधनों की भी भारी कमी हो रही है।

चीन से सीखने की जरूरत पर जोर

टीकाराम जूली ने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि चीन ने जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देकर खुद को एक महाशक्ति में तब्दील किया है। उन्होंने कहा कि चीन ने अपनी नीतियों के माध्यम से गरीबी और बेरोजगारी को काफी हद तक नियंत्रित किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि आरएसएस प्रमुख और उनकी विचारधारा देश को किस दिशा में ले जाना चाहती है। क्या वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि देश संसाधनों की कमी के कारण और गहरे संकट में फंस जाए?

महिलाओं पर बढ़ता दबाव

जूली ने भागवत के बयान को महिलाओं के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि यह बयान महिलाओं को तीन बच्चे पैदा करने के लिए बाध्य करने जैसा है। “क्या भागवत जी यह मानते हैं कि महिलाओं को सिर्फ बच्चे पैदा करने की मशीन बना दिया जाए?” उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों महिलाएं गरीबी और कुपोषण से जूझ रही हैं। दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग की महिलाओं और बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। ऐसे में जनसंख्या वृद्धि का समर्थन करना महिलाओं और बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।

 आरएसएस की प्राथमिकताएं और सामाजिक जिम्मेदारी

नेता प्रतिपक्ष ने आरएसएस की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि संगठन का ध्यान केवल अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है। “आरएसएस को बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, जल संकट और कृषि संकट जैसे गंभीर मुद्दों पर कभी ध्यान नहीं जाता।” उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने और देश में नफरत फैलाने की घटनाओं पर चुप्पी साधे रहता है।

जनसंख्या वृद्धि और भारत की वास्तविक समस्याएं

टीकाराम जूली ने कहा कि देश में बुनियादी समस्याओं की ओर ध्यान देना अधिक जरूरी है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या देश के पास बढ़ती जनसंख्या को संभालने के लिए पर्याप्त भूमि, आवास, शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, और परिवहन के साधन उपलब्ध हैं। “देश को प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते दबाव, जल संकट, और पर्यावरणीय असंतुलन जैसी समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार को चाहिए कि वह गरीबी, बेरोजगारी, और आर्थिक मंदी जैसी समस्याओं को हल करने के लिए ठोस कदम उठाए।

 आरएसएस और भाजपा की विचारधारा पर सवाल

जूली ने कहा कि आरएसएस और भाजपा केवल हिंदू राष्ट्र और जनसंख्या वृद्धि जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके देश को गुमराह कर रहे हैं। “आरएसएस प्रमुख का बयान देश में आर्थिक और सामाजिक विसंगतियां बढ़ाने वाला है।” उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को इस बयान पर अपनी राय स्पष्ट करनी चाहिए।

समाधान और सुझाव

टीकाराम जूली ने सुझाव दिया कि देश को जनसंख्या नियंत्रण के लिए ठोस नीतियां अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसर बढ़ाकर ही जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफल हो सकते हैं। उन्होंने सरकार से यह भी अपील की कि वह कुपोषण, गरीबी, और महिलाओं के स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान दे।

टीकाराम जूली ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान की आलोचना करते हुए इसे देश की वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने से पहले देश को शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों का समाधान निकालना चाहिए।

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