शोभना शर्मा। अजमेर स्थित जवाहरलाल नेहरू (JLN) अस्पताल में रेजीडेंट डॉक्टर्स ने रविवार से पूर्ण कार्य बहिष्कार कर दिया है। यह हड़ताल कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद शुरू हुई, जहां एक छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले ने सुरक्षा की गंभीर चिंताओं को जन्म दिया। इसके साथ ही, रेजीडेंट डॉक्टर्स ने अपनी 8 सूत्री मांगें सरकार के सामने रखी हैं।
रेजीडेंट डॉक्टर्स की प्रमुख मांगें और हड़ताल की वजह
कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद, रेजीडेंट डॉक्टर्स ने सुरक्षा और कार्यस्थल पर बेहतर प्रबंधनों की मांग की है। उनके अनुसार, इस तरह की घटनाएं अस्वीकार्य हैं और अस्पतालों में डॉक्टर्स को सुरक्षा मिलनी चाहिए। इसके अलावा, उनकी अन्य मांगें जैसे आवास, भत्तों में सुधार, अधिक स्टाफिंग, और बेहतर चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता शामिल हैं।
अजमेर के JLN अस्पताल के लगभग 250 रेजीडेंट डॉक्टर्स ने एकजुट होकर इस हड़ताल का समर्थन किया है। रेजीडेंट डॉक्टर्स ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगों पर सकारात्मक और ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे कार्य बहिष्कार पर रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे मरीजों को किसी भी तरह की असुविधा नहीं देना चाहते, लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते यह कदम उठाने पर मजबूर हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मरीजों को कोई कठिनाई होती है, तो इसकी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी।
अस्पताल प्रशासन की तैयारी
हड़ताल के बाद, अस्पताल प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए तेजी से कदम उठाए। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरविंद खरे ने बताया कि अस्पताल में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और जूनियर रेजीडेंट्स के साथ सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने का प्रयास किया जा रहा है। नर्सिंग स्टाफ को भी अलर्ट कर दिया गया है ताकि मरीजों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
हालांकि रविवार को अस्पताल में केवल दो घंटे का आउटडोर होता है, फिर भी प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि मरीजों को पूरी चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हों। सभी स्टाफ के सदस्यों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं, और बिना पूर्व अनुमति के उन्हें मुख्यालय छोड़ने की अनुमति नहीं है।
मरीजों पर हड़ताल का असर
रेजीडेंट डॉक्टर्स के हड़ताल पर जाने के कारण, मरीजों को सामान्य सेवाओं के अभाव में असुविधा हो सकती है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने प्रोफेसर और जूनियर डॉक्टर्स की मदद से सेवाएं संभालने का प्रयास किया है, लेकिन बड़े पैमाने पर रेजीडेंट्स की अनुपस्थिति के कारण मरीजों के इलाज में कुछ बाधाएं आ सकती हैं।
रेजीडेंट डॉक्टर्स द्वारा लिए गए इस कड़े कदम ने प्रशासन और सरकार के सामने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। अस्पताल की सेवाओं को प्रभावित किए बिना उनकी मांगों का समाधान करना अब सरकार की प्राथमिकता बन गई है।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है और जल्द ही कोई ठोस समाधान निकालने का प्रयास किया जा सकता है। रेजीडेंट डॉक्टर्स के हड़ताल से उत्पन्न स्थिति ने प्रशासन और सरकार पर दबाव बनाया है कि वे डॉक्टर्स की सुरक्षा और अन्य मांगों पर ध्यान दें।
रेजीडेंट्स का समर्थन और समाज की प्रतिक्रिया
इस हड़ताल को अन्य मेडिकल संस्थानों से भी समर्थन मिल रहा है। कई डॉक्टर संघों ने भी इस आंदोलन को उचित बताया है और सुरक्षा व कार्यक्षेत्र की बेहतरी के लिए डॉक्टर्स के अधिकारों की रक्षा की मांग की है। हड़ताल के चलते मरीजों की देखभाल पर असर पड़ा है, लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि उनका यह कदम लंबी अवधि के हितों के लिए है, जिससे भविष्य में सुरक्षा और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो सके।