मनीषा शर्मा। 14 मार्च को विश्व नींद दिवस (World Sleep Day) मनाया जाता है। इस बार होली का त्योहार पड़ने के कारण जिले में कोई विशेष आयोजन नहीं हुआ, लेकिन विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने लोगों को पर्याप्त नींद लेने की सलाह दी है। डॉक्टरों के अनुसार, अच्छी नींद का महत्व भोजन और पानी के बराबर है। नींद पूरी न होने से व्यक्ति का दैनिक जीवन प्रभावित होता है और कई तरह की बीमारियां जन्म ले सकती हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि अच्छी नींद मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखती है। यह ध्यान केंद्रित करने, सीखने, याददाश्त बढ़ाने और निर्णय लेने की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करती है। नींद की कमी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे डिप्रेशन, तनाव, मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
35% लोग झेल रहे नींद न आने की समस्या
टोंक यूनानी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सरफराज के अनुसार, 35 प्रतिशत लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इसका मुख्य कारण तनाव, मोबाइल का अत्यधिक उपयोग और खराब जीवनशैली है। इंसान अपनी जिंदगी का एक तिहाई हिस्सा सोने में बिताता है, और नींद शरीर को स्वस्थ रखने और ऊर्जावान बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कितने घंटे की नींद आवश्यक है?
अलग-अलग उम्र के लोगों के लिए नींद की अवधि अलग-अलग होती है। डॉक्टरों के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी उम्र के अनुसार पर्याप्त नींद लेनी चाहिए:
1 से 2 साल के बच्चों के लिए – 11 से 14 घंटे
3 से 5 साल के बच्चों के लिए – 10 से 13 घंटे
6 से 12 साल के बच्चों के लिए – 9 से 12 घंटे
13 से 17 साल के किशोरों के लिए – 8 से 10 घंटे
18 से 60 साल के वयस्कों के लिए – कम से कम 7 घंटे
61 साल और उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए – 7 से 9 घंटे
नींद की कमी से होने वाली समस्याएं
अगर कोई व्यक्ति पर्याप्त नींद नहीं लेता है, तो उसे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:
अनिद्रा (Insomnia) – लगातार नींद न आने से व्यक्ति चिड़चिड़ा हो सकता है और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है।
सिरदर्द और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी – कम नींद दिमागी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, जिससे एकाग्रता में कमी आती है।
मोटापा और बढ़ी हुई भूख – नींद की कमी से शरीर में लेप्टिन हार्मोन का स्तर गिर जाता है, जिससे व्यक्ति को अधिक भूख लगती है और वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
डायबिटीज का खतरा – नींद पूरी न होने से शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर – अपर्याप्त नींद से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम – यह एक गंभीर स्थिति है, जो हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है।
बेहतर नींद के लिए अपनाएं ये उपाय
अच्छी नींद पाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
रोजाना तय समय पर सोएं और जागें।
बेडरूम को शांत, ठंडा और आरामदायक बनाएं।
सोने से कम से कम 1 घंटे पहले मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बंद कर दें।
सोने से पहले ज्यादा भोजन और शराब के सेवन से बचें।
रोजाना एक्सरसाइज करें और हेल्दी डाइट लें।
अगर नींद न आने की समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
नींद नहीं आने के कारण
अगर किसी को नियमित रूप से नींद न आने की समस्या हो रही है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- तनाव और चिंता – मानसिक तनाव नींद में बाधा डालता है।
- अनियमित जीवनशैली – सही समय पर न सोना और जागना।
- कैफीन और शराब का अधिक सेवन – ये पदार्थ नींद के चक्र को बाधित कर सकते हैं।
- शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं – मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग और स्लीप एपनिया जैसी बीमारियां नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।
यूनानी चिकित्सा से भी संभव है इलाज
डॉ. सरफराज बताते हैं कि यूनानी चिकित्सा पद्धति में नींद न आने की समस्या का प्राकृतिक उपचार संभव है। इसमें हर्बल दवाओं, खानपान और जीवनशैली में सुधार के जरिए नींद की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। अच्छी नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक आवश्यक है। आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी, तनाव और मोबाइल का बढ़ता इस्तेमाल हमारी नींद को प्रभावित कर रहा है। वर्ल्ड स्लीप डे का उद्देश्य लोगों को नींद के महत्व और इसके स्वास्थ्य लाभों के प्रति जागरूक करना है। इसलिए, अगर आप भी नींद की कमी से परेशान हैं, तो समय रहते अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और स्वस्थ जीवन का आनंद लें।