मनीषा शर्मा। राष्ट्रीय पर्यावरण युवा संसद के दूसरे दिन भारतीय राजनीति, पर्यावरण और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर युवाओं की बेबाक राय सामने आई। युवा प्रतिनिधियों ने सत्ता, नीति, और समाज की गहरी खामियों को उजागर करते हुए कई सटीक सवाल उठाए। इस दौरान बिहार के प्रतिनिधि अक्षय कुमार झा का बयान, “आपने राम जी को अयोध्या में स्थापित कर दिया, लेकिन उनके ससुराल मिथिला पर भी ध्यान दें,” खासा चर्चित रहा।
मिथिला और अयोध्या का संदर्भ
अक्षय कुमार झा ने बिहार की स्थिति को लेकर तंज कसते हुए कहा कि उत्तर में बाढ़ है, दक्षिण में सुखाड़ है, और जो बचा है, वह नरसंहार है। मिथिला क्षेत्र की उपेक्षा पर उन्होंने कहा कि मां सीता को बार-बार अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है, लेकिन उनके ससुराल मिथिला पर कोई ध्यान नहीं देता। यह बयान न केवल पर्यावरणीय असंतुलन बल्कि सरकार की नीतिगत विफलताओं की ओर भी इशारा करता है।
शिक्षा और नैतिकता पर सवाल
झा ने शिक्षा और नैतिकता के मुद्दे पर कहा कि स्कूल तक हम सत्य निष्ठा की कक्षा में ईमानदारी सीखते हैं, लेकिन ब्यूरोक्रेसी में कदम रखते ही भ्रष्टाचार का हिस्सा बन जाते हैं। युवा संसद में यह भी कहा गया कि जब विधायक चुनकर सदन में पहुंचते हैं, तो उनकी प्राथमिकता केवल सड़कों के निर्माण तक सिमट जाती है। यह दर्शाता है कि नैतिकता और शिक्षा के बीच की खाई कितनी गहरी है।
प्रदूषण और भ्रष्टाचार पर तीखे तंज
खनक उपाध्याय, मोनिका भाटी और साहिल कौशिक ने कहा कि जब तक जेब गर्म करना नहीं छोड़ा जाएगा, तब तक प्रदूषण से यह धरती गर्म होती रहेगी। उन्होंने पर्यावरणीय प्रदूषण को राजनीतिक भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए सरकारों की निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए। विपक्ष के आयुष सिंह ने कहा, “हम चीन का विरोध तो करते हैं, लेकिन हर साल 17,500 करोड़ रुपये के फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स चीन से आयात करते हैं।” उन्होंने नमामी गंगे परियोजना पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि गंगा और यमुना नदियां साफ नहीं हुईं, लेकिन इस प्रोजेक्ट का बजट जरूर साफ हो गया।
वन नेशन, वन इलेक्शन और सत्ता पर तंज
एक प्रतिनिधि ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” की अवधारणा पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत विविधताओं का देश है। अगर सब कुछ एक जैसा करना था, तो आजादी के समय ही ऐसा कर देते। उन्होंने सत्ता के अहंकार को “मदमस्त हाथी” की तरह वर्णित किया और कहा कि जो लोग आज सत्ता का आनंद ले रहे हैं, उन्हें एक दिन इसी मिट्टी का स्वाद चखना होगा।
रोजगार और पर्यावरणीय समस्याएं
युवा संसद में रोजगार और प्रदूषण की समस्याओं पर भी चर्चा हुई। एक प्रतिनिधि ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा कैंसर खनन (माइनिंग) से हो रहा है। राजस्थान इस समस्या में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि किसी भी नदी में जाइए, आपको कीटनाशक और उर्वरकों का प्रदूषण मिलेगा। युवाओं का विवेक नीचे जा रहा है और बेरोजगारी बढ़ रही है। उन्होंने राष्ट्रीयता के झंडे का हवाला देते हुए कहा कि यह झंडा हमें सिखाता है कि राष्ट्रवाद ही रोटी देगा। लेकिन कस्बों और धारावी जैसी जगहों में जाकर देखिए, वहां लोग किस हाल में हैं। गाजियाबाद जैसे प्रदूषित शहरों में लोग सांस तक नहीं ले पा रहे हैं।