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जोरावर लाइट टैंक का जैसलमेर में सफल परीक्षण

जोरावर लाइट टैंक का जैसलमेर में सफल परीक्षण

मनीषा शर्मा।  भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, देश में निर्मित जोरावर लाइट टैंक का जैसलमेर में सफल परीक्षण किया गया। यह टैंक ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे लद्दाख में तैनात किया जाएगा, जहां इसका हल्का वजन और तेजी से मूव करने की क्षमता महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। शुक्रवार को रेगिस्तानी इलाकों में हुए फील्ड टेस्ट के दौरान जोरावर ने अपने असाधारण प्रदर्शन से सभी लक्ष्यों को पूरा किया।

फायरिंग प्रदर्शन में उत्कृष्टता

जोरावर टैंक के शुरुआती परीक्षणों में इसके फायरिंग प्रदर्शन का कड़ाई से मूल्यांकन किया गया, जहां इसने दिए गए लक्ष्यों पर सटीकता हासिल की। इस टैंक को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की इकाई, लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई), और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (L&T) के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना, और सभी सहयोगी भागीदारों की सराहना की है। यह सफलता भारत के आत्मनिर्भर डिफेंस सिस्टम और टेक्नोलॉजी के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

पहाड़ी इलाकों के लिए तैयार किया गया टैंक

जोरावर टैंक विशेष रूप से लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से सीखे गए सबक को ध्यान में रखते हुए, जोरावर टैंक में लोइटरिंग म्यूनिशन यूएसवी (Unmanned Surface Vehicle) जोड़ा गया है, जो इसे और अधिक प्रभावी बनाता है। जोरावर टैंक को चीन के ZTQ टाइप-15 टैंक के मुकाबले के लिए तैयार किया गया है, जिसे गलवान घाटी में चीनी सेना ने तैनात किया था।

25 टन वजनी हल्का टैंक

जोरावर टैंक का सबसे खास पहलू इसका हल्का वजन है, जो 25 टन है। यह भारतीय सेना के मौजूदा टी-72 और टी-90 टैंकों के मुकाबले काफी हल्का है। हल्के वजन के कारण जोरावर को पहाड़ी इलाकों में तेजी से तैनात किया जा सकता है। जोरावर टैंक को भारतीय वायुसेना के C-17 ग्लोब मास्टर के जरिए आसानी से तैनाती वाली जगहों पर पहुंचाया जा सकेगा। एक बार में दो जोरावर टैंक हवाई मार्ग से ट्रांसपोर्ट किए जा सकते हैं।

जोरावर की डिज़ाइन और टेस्टिंग

जोरावर टैंक का डिजाइन और प्रोटोटाइप निर्माण ढाई साल से कम समय में पूरा किया गया। सभी परीक्षणों के बाद, इस टैंक को 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। जोरावर टैंक की डिजाइनिंग से लेकर उसकी टेस्टिंग तक सभी पैरामीटर ध्यान में रखे गए हैं, ताकि इसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बेहतरीन तरीके से तैनात किया जा सके।

रक्षा मंत्री की प्रशंसा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जोरावर लाइट टैंक के सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और सभी सहयोगियों की सराहना की है। उन्होंने इसे भारत के आत्मनिर्भर डिफेंस सिस्टम की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने भी इस परियोजना में शामिल पूरी टीम को बधाई दी और इसे भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया।

जोरावर लाइट टैंक का सफल परीक्षण भारतीय सेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इसका हल्का वजन और तेज़ी से मूव करने की क्षमता इसे ऊंचाई वाले इलाकों में विशेष रूप से प्रभावी बनाती है। 2027 तक इसे भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा, जिससे सेना की ताकत में और बढ़ोतरी होगी।

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